वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) जारी तनाव को कम करने की कोशिश लगातार जारी है। इसी क्रम में चीन ने अपने सैनिकों को गलवान क्षेत्र से पीछे हटा लिया है। समाचार एजेंसी ने सूत्रों के हवाले से गुरुवार (25 जून) को यह जानकारी दी। सूत्र ने बताया कि 22 जून को चीनी पक्ष ने आश्वासन दिया था कि वे सैनिकों को फ्रंट एरिया से डेप्थ एरिया में भेजेंगे। इस संबंध में गलवान क्षेत्र में कुछ सैनिकों और वाहनों को उनके द्वारा वापस ले जाया गया है।
[removed]On June 22, the Chinese side had given assurance that they will move back troops from front to the depth areas. In this regard, some troops and vehicles were moved back by them in the Galwan area: Sources pic.twitter.com/Eq13M3xsUX
— ANI (@ANI) June 25, 2020
भारत और चीन के शीर्ष सैन्य कमांडरों के बीच सोमवार (22 जून) को हुई बैठक के दौरान दोनों देशों की सेनाओं के बीच पूर्वी लद्दाख में टकराव वाले सभी स्थानों से हटने पर सहमति बनी थी। सेना के सूत्रों ने मंगलवार (23 जून) को नई दिल्ली में बताया था कि सोमवार (22 जून) को दोनों देशों के सैन्य कमांडरों के बीच हुई बातचीत सौहार्दपूर्ण, सकारात्मक और रचनात्मक माहौल में हुई।
बैठक में यह निर्णय लिया गया था कि दोनों पक्ष पूर्वी लद्दाख में टकराव वाले सभी स्थानों से हटने के तौर तरीकों को अमल में लाएंगे। हालांकि यह तौर तरीके क्या होंगे, इसको लेकर कुछ भी स्पष्ट नहीं किया गया है, लेकिन माना जा रहा था कि छह जून की बैठक में इन्हीं अधिकारियों के बीच जो सहमति बनी थी, उसी पर आगे बढ़ा जाएगा जिसमें चरणबद्ध तरीके से दोनों देशों की सेनाओं को पीछे हटना है।
भारत और चीनी सेना के बीच पिछले हफ्ते गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प के बाद तनाव कम करने के उद्देश्य से सोमवार (22 जून) को 14वीं कोर के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह और तिब्बत सैन्य जिला कमांडर मेजर जनरल ल्यू लिन के बीच करीब 11घंटे तक बातचीत हुई। इस बैठक में भारत की तरफ से जोरदार ढंग से इस मांग को रखा गया था कि चीनी सेना पीछे हटे।
पूर्वी लद्दाख में कम से कम चार स्थानों पर दोनों देशों के बीच टकराव के हालात पैदा हुए हैं। इनमें पेंगोंग लेक, गलवान घाटी, दौलत बेग ओल्डी एवं डेमचोक शामिल हैं। रक्षा विशेषज्ञों ने कहा कि मौजूदा तनाव की स्थिति में दोनों सेनाओं के बीच बनी यह सहमति सकारात्मक है, लेकिन सबसे बड़ी बात यह है कि चीनी पक्ष इसका क्रियान्वयन सुनिश्चित करे। देखना यह है कि वह पिछली बार की तरह वादे से मुकरे नहीं।
पूर्वी लद्दाख में भारत-चीन सेनाओं के बीच गतिरोध कम करने के प्रयासों के बीच सोमवार (15 जून) को गलवान घाटी में तीन घंटे तक दोनों सेनाओं के बीच
चले खूनी संघर्ष में भारतीय सेना के एक कमांडिग अधिकारी (कर्नल) समेत 20 जवान शहीद हो गए। इस झड़प में चीनी जवानों के मारे जाने की भी पुष्टि की गई है, लेकिन चीन की तरफ से यह नहीं बताया गया है कि उसके कितने सैनिक हताहत हुए हैं। हालांकि कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार 43 चीनी सैनिक या तो गंभीर रूप से घायल हुए हैं या मारे गए हैं। घटना वाले दिन घायल सैनिकों की तलाश में चीनी हैलीकॉप्टर दिन भर एलएसी के करीब देखे गए। खबर है कि घायल जवानों को एयर लिफ्ट करने की कोशिश की गई है। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि दोनों पक्षों के बीच गोलीबारी नहीं हुई।
सोमवार (15 जून) को हुआ संघर्ष नाथू ला में 1967 में हुई उस झड़प के बाद सबसे बड़ा संघर्ष है जिसमें चीन के 300 से अधिक सैनिक मारे गए थे और भारत के लगभग 80 जवान शहीद हो गए थे। इसके बाद 1975 में चीन की सेना के साथ हिंसक झड़प में भारतीय सैनिक की मौत हुई थी। 1975 में अरुणाचल प्रदेश के तुलुंग ला में दोनों देशों के बीच अस्थाई सीमा के पास घात लगाकर किए गए हमले में चार भारतीय सैनिक शहीद हो गए थे।
भारत और चीन की सेना के बीच पूर्वी लद्दाख के पैंगोंग सो, गलवान घाटी, डेमचोक और दौलत बेग ओल्डी में गतिरोध चल रहा है। काफी संख्या में चीनी सैनिक अस्थायी सीमा के अंदर भारतीय क्षेत्र में पैंगोंग सो सहित कई स्थानों पर घुस आए हैं। भारतीय सेना ने घुसपैठ पर कड़ी आपत्ति दर्ज कराई है और क्षेत्र में शांति और स्थिरता के लिए उनकी तुरंत वापसी की मांग की है। गतिरोध दूर करने के लिए दोनों पक्षों के बीच पिछले कुछ दिनों में कई वार्ताएं हुई हैं। भारत और चीन का सीमा विवाद 3,488 किलोमीटर लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा को लेकर है। चीन, तिब्बत के दक्षिणी हिस्से के रूप में अरुणाचल प्रदेश पर दावा करता है जबकि भारत इसे अपना अभिन्न अंग बताता है।
पूर्वी लद्दाख में स्थिति तब खराब हुई जब बीते पांच मई को पेगोंग झील क्षेत्र में भारत और चीन के लगभग 250 सैनिकों के बीच लोहे की छड़ों और लाठी-डंडों से झड़प हो गई। दोनों ओर से पथराव भी हुआ था, जिसमें दोनों देशों के सैनिक घायल हुए थे। यह घटना अगले दिन भी जारी रही। इसके बाद दोनों पक्ष ''अलग" हुए, लेकिन गतिरोध जारी रहा। इसी तरह की एक अन्य घटना में नौ मई को सिक्किम सेक्टर में नाकू ला दर्रे के पास दोनों देशों के लगभग 150 सैनिकों के बीच झड़प हो गई थी। सूत्रों के अनुसार, इस घटना में दोनों पक्षों के कम से कम 10 सैनिक घायल हुए थे।
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